विपश्यना साधना का लक्ष्य है चित्त को नितांत निर्मल कर लेना। चित्त के विकारों को जड़ों से उखाड़ लेना। इसके लिए हमें अपने चित्त के बारे में, चित्त के विकारों के बारे में स्वयं अनुभूतियों द्वारा जानना होगा और उसमें यह सांस बड़ा उपयो…
Read more »किसी तपोभूमि में जाकर विपश्यना सीखने वाले को यह बात बहुत अच्छी तरह समझ लेनी होती है कि पहला कदम जो उठा रहे हैं वह अपने सांस के बारे में जो सच्चाई है। उसे साक्षीभाव से, तटस्थभाव से जानने का काम कर रहे हैं। इसके साथ कहीं भूल कर भी …
Read more »चित्त को नितांत विशुद्ध कर देने वाली विपश्यना विद्या का अभ्यास करने के लिए जब कभी किसी विपश्यना-तपोभूमि में आओगे तो वहां दस दिन रहते हुए, वहां के सारे नियमों का पालन करते हुए, सभी प्रकार के अनुशासन और पांच शीलों का बड़ी कड़ाई के …
Read more »विपश्यना साधना का अभ्यास करने के लिए कोई साधक , कोई साधिका जब विपश्यना की किसी तपोभूमि में आकर दस दिन यह विद्या सीखे तो उसे बहुत अच्छी तरह समझते रहना चाहिए कि इस साधना का अंतिम लक्ष्य क्या है? किसलिए यह साधना कर रहे हैं ? अंतिम ल…
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