श्रमणय वर्ग



भिक्षुओ, जिस व्यक्ति में ये चालीस बाते होती है, वह ऐसा ही होता है, जैसे लाकर स्वर्ग में डाल दिया गया हो l कौन सी चालीस ?

स्वयं प्राणी-हिंसा से विरत होता है, प्राणी-हिंसा से विरत रहने की प्रेरणा देता है, प्राणी-हिंसा से विरत रहने का समर्थन करता है तथा प्राणी-हिंसा से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं चोरी से विरत होता है, चोरी से विरत रहने की प्रेरणा देता है, चोरी से विरत रहने का समर्थन करता है तथा चोरी से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार से विरत होता है, काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार से विरत रहने की प्रेरणा देता है, काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार से विरत रहने का समर्थन करता है तथा काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं झूठ से विरत होता है, झूठ से विरत रहने की प्रेरणा देता है, झूठ से विरत रहने का समर्थन करता है तथा झूठ से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं चुगली खाने से विरत होता है, चुगली खाने से विरत रहने की प्रेरणा देता है, चुगली खाने से विरत रहने का समर्थन करता है तथा चुगली खाने से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं कठोर बोलने से विरत होता है, कठोर बोलने से विरत रहने की प्रेरणा देता है, कठोर बोलने से विरत रहने का समर्थन करता है तथा कठोर बोलने से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं व्यर्थ बोलने से विरत होता है, व्यर्थ बोलने से विरत रहने की प्रेरणा देता है, व्यर्थ बोलने से विरत रहने का समर्थन करता है तथा व्यर्थ बोलने से विरत रहने का गुणगान करता है l

स्वयं लोभ-रहित होता है, लोभ-रहित होने की प्रेरणा देता है, लोभ-रहित होने का समर्थन करता है तथा लोभ-रहित होने का गुणगान करता है l

स्वयं द्वेष-रहित होता है, द्वेष-रहित होने की प्रेरणा देता है, द्वेष-रहित होने का समर्थन करता है तथा द्वेष-रहित होने का गुणगान करता है l

स्वयं सम्यक-दृष्टि वाला होता है, सम्यक-दृष्टि होने की प्रेरणा देता है, सम्यक-दृष्टि होने का समर्थन करता है तथा सम्यक-दृष्टि होने का गुणगान करता है l

भिक्षुओ, जिस व्यक्ति में ये चालीस बाते होती है, वह ऐसा ही होता है, जैसे लाकर स्वर्ग में डाल दिया गया हो l

अंगुत्तर निकाय

Premsagar Gavali

This is Adv. Premsagar Gavali working as a cyber lawyer in Pune. Mob. +91 7710932406

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