
भिक्षुओ, प्रेम से प्रेम कैसे उत्पन्न होता है ?
भिक्षुओ, एक व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति प्रिय होता है, अच्छा लगने वाला होता है l दुसरे व्यक्ति भी उसे चाहते है, उससे प्रेम करते है, उससे अच्छा व्यवहार करते है l उस व्यक्ति को होता है कि जो व्यक्ति मुझे प्रिय है, मुझे इष्ट है, अच्छा लगता है, दुसरे भी उसे चाहते है, उससे प्रेम करते है तथा उससे अच्छा व्यवहार करते है l वह उन व्यक्तियो को प्रेम करने लग जाता है l भिक्षुओ, इस प्रकार प्रेम से प्रेम उत्पन्न होता है l
भिक्षुओ, प्रेम से द्वेष कैसे उत्पन्न होता है ?
भिक्षुओ, एक व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति प्रिय होता है, अच्छा लगने वाला होता है l दुसरे व्यक्ति न उसे चाहते है, न उससे प्रेम करते है, न उससे अच्छा व्यवहार करते है l उस व्यक्ति को होता है कि जो व्यक्ति मुझे प्रिय है, मुझे इष्ट है, अच्छा लगता है, दुसरे न उसे चाहते है, न उससे प्रेम करते है तथा न उससे अच्छा व्यवहार करते है l वह उन व्यक्तियो से द्वेष करने लग जाता है l भिक्षुओ, इस प्रकार प्रेम से द्वेष उत्पन्न होता है l
भिक्षुओ, द्वेष से प्रेम कैसे उत्पन्न होता है ?
भिक्षुओ, एक व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति अप्रिय होता है, अच्छा न लगने वाला होता है l दुसरे व्यक्ति भी न उसे चाहते है, न उससे प्रेम करते है, न उससे अच्छा व्यवहार करते है l उस व्यक्ति को होता है कि जो व्यक्ति मुझे अप्रिय है, न अच्छा लगने वाला है, दुसरे भी न उसे चाहते है, न उससे प्रेम करते है तथा न उससे अच्छा व्यवहार करते है l वह उन व्यक्तियो से प्रेम करने लग जाता है l भिक्षुओ, इस प्रकार द्वेष से प्रेम उत्पन्न होता है l
भिक्षुओ, द्वेष से द्वेष कैसे उत्पन्न होता है ?
भिक्षुओ, एक व्यक्ति को दूसरा व्यक्ति अप्रिय होता है, अच्छा न लगने वाला होता है l परन्तु दुसरे व्यक्ति उसे चाहते है, उससे प्रेम करते है, उससे अच्छा व्यवहार करते है l
उस व्यक्ति को होता है कि जो व्यक्ति मुझे अप्रिय है, न अच्छा लगने वाला है, जिसे मै न चाहता हूँ , न अच्छा व्यवहार करता हूँ l किन्तु दुसरे उसे चाहते है, उससे प्रेम करते है तथा उससे अच्छा व्यवहार करते है l वह उन व्यक्तियो से द्वेष करने लग जाता है l भिक्षुओ, इस प्रकार द्वेष से द्वेष उत्पन्न होता है l
भिक्षुओ, ये चार उत्पन्न होते है l
चतुक्क-निपात, अगुंतर निकाय