अंगुत्तर निकाय

भिक्षुओ, जो प्राणी हिंसा करता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l प्राणी-हिंसा का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में अल्पायु होना l

भिक्षुओ, जो चोरी करता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l चोरी करने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में भोग्य-पदार्थो की हानि l

भिक्षुओ, जो प्राणी काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार करता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l काम-भोग सम्बन्धी मिथ्याचार का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में विरोधियो का बैर l

भिक्षुओ, जो प्राणी झूठ बोलता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l झूठ बोलने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में झूठा दोषारोपण होना l





भिक्षुओ, जो प्राणी चुगली खाता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l चुगली खाने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में झूठा दोषारोपण होना l

भिक्षुओ, जो प्राणी कठोर बोलता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l कठोर बोलने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में अप्रिय वाणी सुनने को मिलना l

भिक्षुओ, जो प्राणी बेकार (बकवास) बोलता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l बेकार (बकवास) बोलने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में अनादर-युक्त वाणी सुनने को मिलना l

भिक्षुओ, जो प्राणी सुरा मेरय आदि नशीले पदार्थो का सेवन करता है, उसका अभ्यस्त होता है, उसको अधिक बढ़ाता है, वह या तो नरक में पैदा होता है या पशु-योनी में जन्म ग्रहण करता है अथवा प्रेत बनता है l सुरा मेरय आदि नशीले पदार्थो का सेवन करने का जो कम से कम दुष्परिणाम है, वह है मनुष्य-योनी में पागलपन l

अंगुत्तर निकाय ,भाग 3, अट्ठ वर्ग, पृष्ठ 323

Premsagar Gavali

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