मृत्यु और पुनर्जन्म के कर्म



[जीवन का निष्कर्ष]
हर कोई जो जन्म लेता है वह मृत्यु के एक दिन प्राप्त होगा ही बिना असफल हुये । बुद्ध ने कहा, "जाति पच्चया जरा-माराण।" जन्म के कारण, बुढ़ापे और मृत्यु का होना निश्चित है l यात्रियों के गंतव्य निश्चित हैं चाहे वे ड्राइव करें, उड़ें, ट्रेन या नाव लें। जहां भी वे जा रहे हैं, वहां उनकी यात्रा का अंत होना है। उसी तरह से,
हमारी मां के गर्भ में शुरूआत से ही हम जीवन के माध्यम से अपना मार्ग बनाते हैं। हर किसी की तरह हमें किसी बिंदु या दूसरे पर जीवन की यात्रा के अंत में उतरना होगा। एक के बाद एक जन्म, भिन्न-भिन्न कर्मो के कारण प्रत्येक जीवन केवल एक अस्थायी प्रक्रिया है।
यहां तक कि रास्ते से आते हुये, सड़क पर मैंने एक लड़की को देखा जिसे एक कार ने टक्कर मार दी थी । कल्पना कीजिए, एक समय जब मैं मौत के बारे में बात करने आया था। क्या वह मर गई थी या अभी भी जीवित थी? मुझे नहीं पता।
मौत क्यों होती है? इसके कारण और स्थितियां क्या हैं? अभिधम्मठा संगाह इसके चार कारण बताता है।
जीवनकाल की समाप्ति
पहला प्रकार जीवनकाल या आयुखया की समाप्ति है। यदि आपने समाचार पत्रों में मृत्युपत्र कॉलम पढ़ होगा, तो आप पाएंगे कि मृत्यु प्राप्त होनेवालो की आयु 60 से उपर है। यही कारण है कि आजकल 75 साल औसत आयु मानी गई है। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि 50 या 60 तक एक व्यक्ति दादा बन जाता है।
ऐसे लोग हैं जो अपनी आयु को बढ़ाने के लिए नाना प्रकार की दवा, आहार और उपचार का प्रयोग करते हैं। फिर भी मैंने कभी भी किसी भी सफल प्रयोग की कहानियों के बारे में नहीं सुना है। यहां तक कि बुद्ध भी उस समय 80 वर्ष तक जीवित रहे जब जीवनकाल 100 वर्ष था। उनकी कर्मो के आधार पर उन्हें एक असंख्य वर्षो तक रहना चाहिए था। फिर भी जलवायु और भोजन की स्थितियों के आधार पर, उनकी आयु दूसरों के साथ बराबरी नही कर पाई । तो 80 वर्ष में उन्होंने अपने जीवनकाल के पूरा होने के कारण परिनिबाण प्राप्त किया।
अपने पुरे जीवनकाल को पूरा करने के लिए बहुत से लोग जीवित नहीं रह पाते हैं; वे उस अवधि से पहले ही मर जाते हैं।
आयुसंस्कार की समाप्ति पर मृत्यु :
कुछ मामलों में आयुसंस्कार जो मानव जन्म देते है, वह इतना कमजोर हो गया होता है कि वह जीवन को अंत तक बनाए रखने के लिए सक्षम नहीं रह पाता है? ऐसा हम कह सकते हैं कि एक व्यक्ति के जीवन की प्राकृतिक सीमा 100 साल लंबी होनी चाहिए। फिर भी वह अपने बीसवे साल में मर गया। ऐसा क्यों हुआ, कि जीवन को आधार का देनेवाला आयुसंस्कार अब नही रहा । या यूँ कहा जाये कि उसके कुशल कर्मो ने उन्हें जीवित रहने के लिए इतना ही समय दिया जिस कारण उसे समय से पहले गुजरना पडा।
आयुसंस्कार और जीवनकाल दोनों की समाप्ति पर मौत :
एक और प्रकार उभयखायया है यहां उभाया का अर्थ “दोनों एक साथ” हैं। एक कहावत है: बाती और तेल दोनों का उपयोग किया जाता है। जैसे ही दोनों खत्म हो जाते हैं, लौ बुझ जाती है। इसी तरह एक व्यक्ति मर जाता है जब उसकी आयुसंस्कार और जीवन दोनों समाप्त हो जाते हैं।
विनाशकारी कर्मो से मृत्यु :
उपेचेदेका कर्म चौथा कारण है जो जीवन को जारी रखने की अनुमति नहीं देता है। कुछ कारणों और स्थितियों के कारण, समय परिपक्व होने से पहले जीवनकाल में कटौती करता है। यह हो सकता है वर्तमान जीवन या पिछले जीवन में व्यक्ति के कुछ अकुशल पाप कर्म रहे हो । तो विनाशकारी कर्मो की वजह से कार या विमान दुर्घटना में या जहाज दुर्घटना में मौत हो सकती है: या तूफान में गिरने वाले पेड़ के नीचे आकर मारा जा सकता है। या उस व्यक्ति की हत्या हो सकती है या वह अपनी स्वयं जान ले सकता है। कुछ कारणों या किसी अन्य द्वारा, विनाशकारी अकुशल कर्म, उन कुशल कर्मो में कटौती करते है जो किसी व्यक्ति के जीवन को अस्तित्व देते है।
आदरणीय मोग्गलाना का उदाहरण ले जो अपने जीवन में एक शिक्षित ब्राह्मण थे , जो महान मानसिक शक्तियों के साथ एक अर्हन्त बन गये थे। हालांकि यह सब बहुत अच्छा था, पर उनके पिछले जन्मो के कर्म उतने अच्छे नहीं थे, क्योंकि एक बार पिछले जीवन में उसने अपने माता-पिता को मारने की कोशिश की थी। इस प्रकार उन्हें अपने वर्तमान जीवन में उसका बुरा फल अपने प्राण देकर भुगतना पड़ा। अगर वह एक अरहंत नहीं बन गये होते तो वह फिर नरक में ही जाते। जैसे किसी अपराधी की 10 साल की सजा घटाकर केवल एक वर्ष कर दी जाये : नरक में जाने की तुलना में उसे मृत्यु तक पीटा जाये?
हम मान सकते हैं कि यह विनाशकारी कर्म है। इस अकुसल कर्म ने उनके जीवन के आयुसंस्कार को काट दिया जिसे कुशल कर्मो द्वारा बनाया गया था। हम इसे किसी अन्य तरीके से भी देख सकते हैं: आदरणीय मोग्गलाना का जीवनकाल समाप्त होने वाला था। अगर लुटेरों ने उन्हें नही मार डाला होता, तो उन्हें तब भी उस दिन मरना होता। यदि ऐसा है तो इसे विनाशकारी अकुशल कर्म नहीं कहा जा सकता , केवल अवरोधक कर्म (अपपिलाका कम्मा) कहा जा सकता है, जिसने उन्हें मृत्यु के समय पीड़ा और चोट दी। हालांकि, यह मेरी राय है।
लेडी सयाडो के अनुसार, बीमारी के कारण मृत्यु को उपेचेदेका-मरण में शामिल किया जा सकता है। कुछ कर्मो में जीवनकाल पूरा होने से पहले, बीमारी मौत का कारण बनती है l
परिणाम (कम्म-विपका) :
इसे विनाशकारी अकुसल कर्म से मृत्यु के रूप में माना जाता है क्योंकि व्यक्ति की उम्र पूरी तरह से पूरी नहीं होती है। इसके अलावा, उसके कर्म अभी समाप्त होने बाकि है। इस मामले में हम ऐसी मौत के कई उदाहरण पा सकते हैं।
जब मौत होती है तो क्या होता है कि दिल कमजोर हो जाता है। आखिरी ऊर्जावान दिमाग (माराणसवाना जावना) मृत्यु से ठीक पहले उठता है, उदाहरण के लिए कुछ देखा या सुना है। या एक दृश्य वस्तु दिमाग के दरवाजे में एक सपने में दिखाई देती है। मन आसक्ति के साथ उसमे डूब जाता है। या यह डर से भयभीत हो जाता है। तब च्युति या मृत्यु चेतना उत्पन्न होती है। साथ ही कर्म से पैदा होने वाला (matter)रूप रुक जाता है। इसके साथ, एक जीवन समाप्त हो जाता है।
यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है कि मृत्यु केवल इसलिए हुई है क्योंकि दिल ने धड़कना बंद कर दिया है। गहरी नींद में मन अभी भी वहां है क्योंकि नियमित रूप से सांस अंदर और बाहर उसी से नियंत्रित होता है। जो बेहोश हैं, उनके लिए श्वास इतना सूक्ष्म हो सकता है कि यह व्यावहारिक रूप से पता ही न लगाया जा सके।
फिर फैसला कैसे करें कि एक व्यक्ति वास्तव में मर चुका है? आपको यह निष्कर्ष निकालना नहीं चाहिए कि मृत्यु केवल इसलिए हुई है क्योंकि दिल ने धड़कना बंदकर दिया है। बंद दिल की धड़कन या सांस न लेने के बावजूद भी हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि वह निश्चित रूप से मर चुका है। हो सकता है वह बेहोश हो। पिटक ग्रंथो के अनुसार, एक व्यक्ति को मृत केवल तभी माना जाता है जब तीन कारक पूरी तरह उपस्थित हो:
1. आयु: शरीर और दिमाग जिविता या जीवन से संरक्षित हैं। मौत पर यह बंद हो जाता है।
2. ऊष्मा: कर्मो द्वारा उत्पादित तेजो धातु शरीर की गर्मी के रूप में मृत्यु पर उत्पन्न होना बंद हो जाती है। मृत्यु से पहले उत्पादित यह आखिर तक मौजूद हो सकती है।
3. विज्ञान: भवंगा समेत किसी भी चेतना जो मन की धारा की निरंतरता को बरकरार रखती है, वह एक अंत पर आती है।
केवल तभी जब ये तीन कारक पूरी तरह से निरुद्ध हो जाते हैं तो मृत्यु हो जाती है। ये समझना की कि एक व्यक्ति की साँस अविरुद्ध हो गई है इसलिय वह मृत है अनेक समस्याएं पैदा कर सकता हैं।
मुझे याद है जब मैं जवान था, मैंने बांग्लादेश के एक आदमी के बारे में पत्रों में पढ़ा था, जिसे स्टेथोस्कोप की जांच के बाद डॉक्टर द्वारा मृत घोषित किया गया था। जैसे की वह एक अन्य धर्म से था, सो उसको उसी दिन दफना दिया गया था। कब्र को भी ठीक से भरा नहीं गया था। अगर शरीर को जलाया गया होता, तो उसकी कहानी शुरु होने से पहले ही अंत हो गई होती। पांच घंटे बाद इस व्यक्ति की चेतना वापस लौट आई। क्योंकि वह जवान था, उसके पास अपनी कब्र पर से मट्टी हटाकर बाहर आने की ताकत थी। जब वह अपने घर में गया, तो परिवार के लोग उसे देखकर डर गये। उन्होंने उसे एक शव के रूप में दफनाया था। अब जब वह वापस आया था तो इसका मतलब यह नही कि यह एक भूत था। अंत में परिवार ने उस डॉक्टर पर मुकदमा दायर किया जिसने उसे मृत घोषित कर दिया था।
इसी से मिलती-जुलती घटना मांडले में चार-पांच साल पहले घटी थी l एक युवा चीनी लड़की को मृत घोषित किया गया था। तब उसे दफनाने के लिए भेजा गया, पर जैसे ही शववाहन कब्रिस्तान के दरवाजे तक पहुंचा, अचानक उसकी चेतना वापस लौट आई । हालांकि, उसे बुरी किस्मत लाने वाली माना गया था, उसे फिर से घर वापस लौटने की अनुमति नहीं थी l कब्रिस्तान के पास ही उसके लिए एक छोटी सी इमारत का निर्माण किया गया था। इस कारण से से भी अतीत में शवो को सात दिनों तक मुर्दाघरो में रखा जाता था। आजकल अगर आज मृत्यु होती है, तो दफनाने का कार्यक्रम अगले दिन किया जाता है । बुरे भाग्य वाले व्यक्ति को मुर्दाघर में भेजा जा सकता है। जहाँ उसके जागने और बहुत शोर मचाने पर उसे भूत समझ कर मृत्यु तक पीटा जा सकता है।
एक समय एक गांव में एक बूढ़े आदमी के बारे में चर्चा चल रही थी। वह मर गया था और दफनाने की तैयारी हो रही थी। उसे एक कब्र में रखा गया, शरीर पर कुछ मट्टी डाली ही गई थी की उसकी चेतना वापस लौट आई , और वह पानी मांगने लगा । पर उसकी मदद करने के बजाय, एक हथौड़ा उसके सिर पर मारा गया था और फिर उसे दफना दिया गया।
अगर हम मानते थे कि अस्तित्व कर्म के अनुसार है, तो हम इस तरह की एक कहानी सुनने में कुछ सांत्वना महसूस कर सकते हैं।
भाग-1
सयाडो डा० नंद्ममालाभिविमंसा

Premsagar Gavali

This is Adv. Premsagar Gavali working as a cyber lawyer in Pune. Mob. +91 7710932406

एक टिप्पणी भेजें

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

और नया पुराने