एक बार स्थविर आनंद ने भगवान से पूछा कि, "भगवान, सभी लोग धर्म (धम्म) को ठीक से क्यों नहीं समझ पाते ?"

तब भगवान ने कहा, "आनन्द, असंख्य कल्पों तक दुर्गति में रहने के बाद जिन्हें मनुष्य जीवन मिला हो, ऐसे लोग उन्हें योग्य कल्याणमित्र मिलने पर भी अनेक जन्मों के उस स्वभाव के कारण धर्म सुनना नहीं चाहते, और अगर धर्म सुनें तो भी समझ नहीं पाते ।"

और जो पिछले जन्मों में मनुष्य होते हुए भी मद्यपान, मनोरंजन करते हुए विषयों के आधीन ही जीवन जीते रहें, वे लोग भी, योग्य कल्याणमित्र मिलने पर भी धर्म सुनना नहीं चाहते, और अगर धर्म सुनें तो भी समझ नहीं पाते ।"
और जो पिछले जन्मों में मनुष्य होते हुए भी *जीनका पुण्य का संग्रह बहुत कम है, जो पूर्व जन्मों में मिथ्या दृष्टि में उलझे रहे, वे लोग भी, योग्य कल्याणमित्र मिलने पर भी धर्म सुनना नहीं चाहते, और अगर धर्म सुनें तो भी समझ नहीं पाते ।"*
पूर्व पुण्य का संग्रह जितना ज्यादा हो, वह व्यक्ति उतना ही ज्यादा धर्म की ओर आकर्षित होता हैं, और योग्य कल्याणमित्र मिलने पर धर्म समझकर प्रगति भी करता हैं और अपना मनुष्य जीवन सार्थक कर लेता हैं और अनेकों के कल्याण का कारण भी बनता हैं ।
*इसलिए लोगों को चाहिए कि, वे अपना पुण्य संग्रह निरंतर बढ़ाते रहें, योग्य कल्याणमित्रों की संगति करें और मिथ्यादृष्टी में पड़े हुए अज्ञानी, नासमझ, मूर्ख लोगों से दूर रहें ।*

Premsagar Gavali

This is Premsagar Gavali working as a cyber lawyer in Pune. Mob. 7710932406

और नया पुराने