प्रश्न : गुरुजी कईं बार समस्याओं से हैरान होकर अथवा महज कोतुहलवश हम किसी ज्योतिष के पास चले जाते हैं। हम कहां तक ऐसी चीजों में विश्वास करें?
गुरुजी : भले ही कोई इसे वैज्ञानिक कहे पर सच्चाई तो यही देखते हैं कि इसके नाम पर आजीविका चलाने वालों के चक्कर में अधिकांश लोग धोखा ही खाते हैं। इस अंधविश्वास में हानि ही हानि है। लाभ का कोई कारण नहीं दिखता।
यदि किसी को यह कह दिया जाए कि तेरा भविष्य अंधकारमय है तो वह बेचारा निराशा और भय की ग्रंथि से व्याकुल हो उठता है।जिस काम को करने में वह कुशल भी था अब मानसिक कुंठा के कारण उसे ही ठीक से नहीं कर पाता। बस यही समझता है कि परिणाम तो खराब ही आएगा।
और जिसका भविष्य उज्ज्वल बता दिया वह भी कभी-कभी अपने परिश्रम में शिथिलता ले आता है।इस विश्वास के मारे की सफलता तो उसके भाग्य में लिखी ही है, चाहे वह परिश्रम करे या ना करे। वह तो प्राप्त होगी ही।
अपने पूर्व कर्मो के फलस्वरूप अगर सफलता सचमुच मिल जाए तो इसे ज्योतिषी की करामात मानकर उसका गुलाम हो जाता है, और उसपर अपना धन बरबाद कर देता है, और यदि उज्ज्वल भविष्यवाणी के विपरीत असफलता का परिणाम आ जाए तो उसकी निराशा और उसका डिप्रेशन उसके भविष्य को अधिक कालिमा से भर देता है।
इसलिए भविष्यवाणी में अपना मंगल या अमंगल देखना हितकर नहीं है।
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भवतु सब्ब मंङ्गलं !!
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