विपस्सना के शारीरिक मानसिक लाभ

1. साधना के दौरान 16% ऑक्सीजन की खपत कम होती है जो की नींद के दौरान 12% कम ऑक्सीजन की खपत से ज्यादा है।

2. दिन के उतार चढ़ाव ( Diurnal variation ) का परिवर्तन सामान्यतः होता हि है वो बड़ा संतुलित एवं सामंजस्यपूर्ण होता है।

3. हृदय की गति (Heart rate) एवं साँस की गति सामान्य से थोड़ी कम होती है। प्रयोगो से सिद्ध हुआ है, आजकल ये पढ़ाया भी जाने लगा है।

• सामान्य हार्ट बिट - 60 से 100 बीट्स / मिनट

• साधक / साधिका - 50

• रेस्पिरेटरी रेट सामान्य - साधक / साधिका - ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) कम होता है, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, अचानक मृत्यु इनमे 50% कमी पाई गई।

4. मेडिटेशन उम्र बढ़ने (aging process) की क्रिया को धीमा करते है । जो 5 साल या उससे अधिक नियमित साधना का अभ्यास करते है अपने उम्र से छोटे दिखते है। चेहरे पर तेजकांती / आभा / चमक होती है। लंबी उम्र और स्वस्थ्य जीवन का राज विपस्सना साधना का नियमित अभ्यास है।

5. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है।

6. समता का अभ्यास बहुत कल्याणकारी है। दर्द सहने की क्षमता काफी बढ़ती है।

7. याददाश्त अच्छी रहती है, बढ़ती है। अलझाईमर की बीमारी में भी बदलाव देखे गये है।

8. मस्तिष्क की बनावट और कार्यप्रणाली में भी रिसर्च द्वारा बदलाव देखे गये है।

9. नींद में सुधार होता है। कम समय सोकर भी व्यक्ति तरोताजा होकर उठता है। नींद में भी सहज रहता है।

10. इन बीमारियों पर भी साधना का असर दिखाई पड़ता है, ये पूर्णतः ख़त्म होतीं है या इनकी तीव्रता कम देखी गई है। जैस - आर्थराइटिस (Arthritis), एलर्जी (Allergy), अस्थमा (Asthma), सीने में जलन (Heart burn), एसिडिटी (Acidity), कब्ज़ (Constipation), मानसिक तनाव (Mental stress), कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD), मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome), निराशा (Depression), एंग्जायटी (Anxiety), ,चर्म रोग (Skin disorder), कमर और घुटनो का दर्द (Lower back and Knee pain), नशे की लत (Substance Abuse), कैंसर एवं कैंसर के अंतिम अवस्था का दर्द समस्या, सिरदर्द (Headache), माईग्रेन (Migraine ), नींद की समस्या (Sleeping problem), मोटापा (Obesity), स्ट्रोक (Stroke)।

11. मानसिक बीमारियों में सुधार जैसे चिंता रोग, तनाव इनके लक्षणों में कमी या पूर्णतः ठीक हो जाना।

12. नशे की लत छोड़ने में सहायक, बहुत लाभदायक परिणाम।

13. शिक्षा के क्षेत्र में परिणाम बहुत अच्छे आने लगते है ।

• प्रतिशत में बढ़ोतरी होती है। ग्रेडिंग भी सुधरती है। 

• परीक्षा का डर, चिंता, तनाव कम हो जाता है।

• बच्चे समय का उचित नियोजन करना सीखते है ।

• मन जल्दी एकाग्र होता है ।

• मानसिक तनाव कम होता है, चिंता एंग्जायटी (anxiety) नहीं होती।

• हर क्षेत्र में (रिजल्ट ( परिणाम अच्छे आते है ।

• खिलाड़ी है तो परफॉरमेंस (performance) सुधरता है।

• खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार और संतुष्टि में सुधार होता है।

• नशे की आदत से दूर रहते है यदि किसी कारण से पड़ भी जाये तो जल्दी छुटकारा हो जाता है।

• दया, मैत्री, सहायता आदि गुण बढ़ते है।

14. विपस्सना का अभ्यास करते हुए मानसिक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है, जिससे शारीरिक क्षमता भी बढ़ती है। लोग लंबे समय बिना थके, बिना झुंझलाहट के काम करते है।

15. मंगल मैत्री का अभ्यास करते हुए अपने आप की बाहरी नकारात्मक वातावरण से रक्षा करते है।

16. अपने अकुशल चैतसिको से छुटकारा पाते है।

17. शोभन चैतसिक जाग्रत होते है जो आदि, मध्य और भविष्य मंगल मयी होते है।

18. लोगो में आपसी भाईचारा बन्दुत्व का भाव बढ़ता है और दुश्मनी का भाव कम होता है ।

19. "स्वपरिवर्तन से जग परिवर्तन" ये हकीकत में देखने और अनुभव करने मिलता है।

20. दया, करुणा, ईमानदारी गुण जाग्रत होते है या बढ़ते है।

21. अपना आत्मसम्मान बढ़ता है, लोगों के बीच एक अलग पहचान बनती है।

22. आकर्षिक व्यक्तिमत्व होता है।

23. तनाव के लिए विपस्सना Antidote (विषहर औषध) है।

24. कैंसर के मरीज़ो के लिए विपस्सना विद्या बहुत बड़ा वरदान है। मरीज समता में रहते हुए भयानक कष्ट को सहन करते है। दुसरो के लिए प्रेरणादायी होते है। बहुत से उदहारण पढ़े होंगे। निरंतर समता का अभ्यास करते हुये अनित्य का अभ्यास करते हुये ये कैंसर को मात करती है और आगे पनपने नहीं देती । बहुतों ने इससे मुक्ति पाई है।

25. विपस्सना विद्या द्वारा जीवन जीने की कला सीखते है, और मरने की भी कला सीखते है। मृत्यु मंगलमृत्यु होती है। अनेक उदहारण सुनने मिले है।

26. स्त्रियों के लिए: लड़कियों के जीवन में कई उतार चढाव आते है, जैसे -

• पहली बार रजस्वला होना (Menarche) दर्द की शुरुवात ।

• किशोर अवस्था- पढाई, प्रतियोगिता, तुलना ।

• शादी के बाद - नया घर, नया माहौल, इसमें सामंजस्य बैठाना।

• नौकरी एवं घर संभालना

• गर्भधारण एवं प्रसव पीड़ा

• रजोनिवृत्ति (Menopause)

• अपनों की मृत्यु

• विधवा जीवन

इन सबका समतापूर्वक सामना करने के लिये लड़कियों को बचपन से ही आनापान, किशोरावस्था में ध्यान व विपस्सना सीखाने की शुरुवात कर देनी चाहिए जिससे वे अपने मन एवं शरीर पर आने वाले तूफानों का सामना आसानी से कर सकें।


27. गर्भवती माताओं में -

• गर्भवती माता एवं शिशु दोनों ही सजग रहते है। लगातार साधना से शिशु को सकारात्मक (quality) मिलती है। माताओं में डिप्रेशन, हाइपरटेंशन, प्रीइकलेम्पसिया, इकलेम्पसिया, हाई बी. पी. नहीं होता। यदि (complication) उलझन आये भी तो सहजता से संभाल लिया जाता है। माता सहयोगी होती है डॉक्टर के लिये । सिजेरियन डिलीवरी में 50% कटौती होती है।


• प्रसव पीड़ा (labour pains) को समता से देखते हुये आसानी से निकाल लेतीं है। प्रसव पीड़ा की अवधी कम देखने में आई है। प्रसव कराने में मरीज डॉक्टर को अच्छे से सहयोग करती है । साधना करने वाली स्त्रियों में प्रसव पीड़ा का समय यानी पीड़ा शुरू होने शिशु बाहर आने का समय एक चौथाई या आधा कम होता देखा जा रहा है।


28. दूध पिलाने वाली माताओं में दूध का उत्पादन भी खूब बढ़ जाता है। साधना करने वाली माताओं में कभी दूध धार की तरह निकलता भी देखा गया है। आजकल दूध का न आना दूध जल्दी सूख जाना आम बात है, शिशु को (Artificial milk) या गाय का दूध पिलाया जाता है, शिशु अपने माँ के दूध से वंचित रह जाता है। साधना करने वाली माँ मैत्री पूर्वक दूधपान कराती है। अपना और शिशु का रक्षण करतीं है।


29. विज्ञान के पास लोभ, दोस, मोह को हटाने का कोई इलाज नहीं है। क्रोध, इर्षा, मात्सर्य, झूठ बोलना, चोरी, डकैति, आतंकवाद, हत्या, स्वहत्या, अहंकार, लालच, निराशा, डर, हवस, शत्रुता, कुटिलता को दूर करने का इलाज नही होता। एकमात्र विपस्सना की साधना ही इसका इलाज है।


30. विज्ञान के पास इन चीजों को बढ़ाने के उपाय नहीं है - और है भी तो बहुत थोड़े समय के लिये जैसे दया, करुणा, प्यार, सहानुभूती, ख़ुशी, समभाव, सादगी, स्वीकार करना, माफ़ी, पारदर्शिता, ईमानदारी, अनुशासन, सकरात्मकता आदि । विपस्सना विद्या की साधना का अभ्यास ही हमारे में कुशलकर्म जगायेंगे।


“सब्बपापस्स अकरणं, कुसलस्स उपसम्पदा.

सचित्तपरियोदपनं, एतं बुद्धान सासनं ॥”

-सभी प्रकार के पापों को न करना, कुशलता की उपसंपदा (खजाना) जमा करना, अपने चित्त को प्रक्षालित करते रहना (सफाई करते रहना), यही सभी बुद्धों की शिक्षा है।

-धम्मपद 183 (बुद्धवग्गो)


सफलता की कुँजी स्वास्थ्य की कुँजी, 

यही है, यही है, यही है । 

साधु साधु साधु


विपश्यना विशोधन विन्यास ॥

Premsagar Gavali

This is Premsagar Gavali working as a cyber lawyer in Pune. Mob. 7710932406

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