आज 19 जनवरी को पुज्य गुरुदेव उबा खिन जी की पुण्यतिथि है। शुद्ध धर्म (विपश्यना) में अधिक से अधिक परिपक्व होने का प्रयास करते रहना यही उनकी सही श्रद्धांजलि है।
धन्य धन्य गुरुदेव जी,
धन्य बुद्ध भगवान ।
शुद्ध धर्म ऐसा दिया,
होकर जगत कल्याण ।।
दुर्लभ सदगुरु का मिलन
दुर्लभ धर्म मिलाप,
अहो भाग्य दोनों मिलें
अब दुर करें भवताप ।।
धर्म दिया गुरुदेव ने
कैसा रतन अमोल ।
मृत्यु लोक के जीव को
अमृत का रस घोल ।।
नमन करें गुरुदेव को
कैसे संत सुजान
कितने करुणा चित्त से
दिया धर्म का दान ।।
यदि गुरुवर मिलते नहीं
धर्म गंगा के तीर,
तो बस गंगा पुजता
कभी न पीता नीर ।
यदि गुरुवर से मिलता नहीं
शुद्ध धर्म उपदेश,
तो धन क जंजाल में
जीवन खोता शेष ।।
बाहर बाहर भटकते
जीवन रहा गंवाय,
धन्य भाग, गुरुवर मिलें
सतपथ दिया दिखाय ।।
*आज नमन का दिवस हैं, अंतर भरी उमंग*,
*श्रद्धा और कृतज्ञता विमल भक्ति का रंग।।*
*गुरुवर आपके चरणों की, धूल लगे मम शीश ।*
*सदा धर्म में रत रहूं, मिले यही आशीष ।।
धन्य धन्य गुरुदेव जी,
धन्य बुद्ध भगवान ।
शुद्ध धर्म ऐसा दिया,
होकर जगत कल्याण ।।
दुर्लभ सदगुरु का मिलन
दुर्लभ धर्म मिलाप,
अहो भाग्य दोनों मिलें
अब दुर करें भवताप ।।
धर्म दिया गुरुदेव ने
कैसा रतन अमोल ।
मृत्यु लोक के जीव को
अमृत का रस घोल ।।
नमन करें गुरुदेव को
कैसे संत सुजान
कितने करुणा चित्त से
दिया धर्म का दान ।।
यदि गुरुवर मिलते नहीं
धर्म गंगा के तीर,
तो बस गंगा पुजता
कभी न पीता नीर ।
यदि गुरुवर से मिलता नहीं
शुद्ध धर्म उपदेश,
तो धन क जंजाल में
जीवन खोता शेष ।।
बाहर बाहर भटकते
जीवन रहा गंवाय,
धन्य भाग, गुरुवर मिलें
सतपथ दिया दिखाय ।।
*आज नमन का दिवस हैं, अंतर भरी उमंग*,
*श्रद्धा और कृतज्ञता विमल भक्ति का रंग।।*
*गुरुवर आपके चरणों की, धूल लगे मम शीश ।*
*सदा धर्म में रत रहूं, मिले यही आशीष ।।