प्राणिमात्र का जीवन कितना अनिश्चित(uncertain) है।


मृतयु न जाने कब आ जाए? कैसे आ जाए?

युवा- वृद्ध, पुरुष- नारी सभी मृतयु को प्राप्त होते है।सभी कितने असहाय हैं।
जब काल आ जाये तो सब कुछ छोड़कर चल देना पड़ता है।

भले- बुरे कर्म- संस्कारो के अतिरिक्त और कुछ भी साथ नहीं जाता।

सभी द्रश्य जीवों में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।

💐 मनुष्य को ही प्रकर्ति ने ऐसी शक्ति दी है की वह स्वमुखी होकर अपने भीतर की सच्चाइयों को साक्षी भाव से देख सकता है।

इस प्रकार समता में स्थापित होकर नए कर्मसंस्कार बनाने बंद कर सकता है, और पुरानी कर्म- ग्रंथियों को काटकर मुक्त हो सकता है।

अन्य कोई प्राणी ऐसा कर सकने में असमर्थ है।

अतः मनुष्य अपनी इस अद्भुत शक्ति को पहचाने और अंतर्मन की गहराइयों के संग्रहित विकारों को दूर करले, इसी में उसके जीवन की सारथकता है।

Premsagar Gavali

This is Adv. Premsagar Gavali working as a cyber lawyer in Pune. Mob. +91 7710932406

एक टिप्पणी भेजें

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

और नया पुराने