"पुत्र! पुत्र! तुम हमें छोड़कर इतने दिन कहां विचरण कर रहे थे ? हम तुम्हारी कब से राह देख रहे थे!" नकुल दंपति ने भगवान गौतम बुद्ध को अपने सम्मुख देखा तो पुराने जन्मों का स्नेह उमड़ पड़ा ।वे अपने पुत्र - वात…
Read more »साधना की प्रगति के तीन सोपान है, तीन सीढ़ियां हैं। 1. विधि को समझना - कैसे और क्यों करना। 2. विधि का ठीक-ठीक -बिना कुछ जोड़े-घटाये पालन करना। 3. विधि की गंभीरता जान कर उसके भीतर भली प्रकार “पैठना" याने वास्तविक ता…
Read more »कृतज्ञता का भाव धर्म का एक अपरिहार्य अंग है। कृतघ्नता धर्मशून्यता की,धर्म के सर्वथा अभाव की प्रतीक है। भारत ही नहीं, विश्व के सभी संप्रदायों की धार्मिक भावनाओं में कृतज्ञता का एक विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान है। सौभाग्…
Read more »2538 वर्ष पूर्व, वैशाख पूर्णिमा की उदास चांदनी रात। यह रात पूरी होते-होते तथागत जीवन के 80 वर्ष पूरे करके महापरिनिर्वाण को प्राप्त होंगे। तीन महीने पूर्व उन्होंने यही भविष्यवाणी की थी और वैशाली से पश्चिम की ओर लंबी यात्रा पर…
Read more »एक बार जब वैशाली नगरी भयंकर रोगों, अमानवी उपद्रवों और दुर्भिक्ष-पीड़ाओं से संतप्त हो उठी , तो इन तीनों प्रकार के दुःखों का शमन करने के लिए महास्थविर आनंद ने भगवान के अनंत गुणों का स्मरण किया । शत-सहत्र-कोटि चक्रवालों के व…
Read more »🌹 किसागोतमी जब कभी भूतकाल का सिंहावलोकन करती तब भगवान के प्रति कृतज्ञता के भावो से विभोर हो उठती। ' मै कितनी भाग्यशालिनी हूँ कि मुझे भगवान तथागत जैसे कल्याणमित्र मिले। 🌻 कल्याणमित्र की संगत मिलती है तो जीवन मंगल से भ…
Read more »आचार्य आलार कालाम और उद्दक रामपुत्र के पास सातवां और आठवां ध्यान सीखकर भी जब बुद्धत्त्व प्राप्त नहीं हुआ तो बोधि सत्व सिद्धार्थ ने देहदंडन की दुष्कर साधना आजमाकर देखी। छह वर्षों के घोर कायाकष्ट की इस क्लिष्ट साधना द्वारा शरीर क…
Read more »विपश्यना ध्यान साधना - "एक अनमोल रत्न"* मेरे पिताजी ने 1992 में जब अपना पहला विपश्यना आवासीय ध्यान शिविर किया, तब मैंने जिज्ञासावश पूछा, आपको यह विधि कैसी लगी ? उन्होंने तब कहा कि मैंने अपने अब तक के 65 साल क…
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