इस ऐतिहासिक महान धर्म यज्ञ में अपनी ओर से आहुति डालते हुए पुरातन भारत की दान देने की शुद्ध चेतना भी समझ लेनी चाहिए। प्राचीन भारत में शुद्ध धर्म के क्षेत्र में दान की परंपरा अत्यंत पवित्र और सात्विक होती थी। उसी पवित्रता की…
Read more »बर्मा से भारत आकर विपश्यना का धर्मरत्न बांटने लगा तो दूसरे वर्ष में ही ऐसा संयोग हुआ कि पश्चिमी देशों की अनेक युवतियां और युवक शिविरों में सम्मिलित होने लगे । वह हिप्पी युग था। उनकी वेशभूषा, उनका रहन-सहन, उनका जीवन व्यवह…
Read more »एक आकस्मिक संयोग 1 सितंबर, 1955 को दस दिन के शिविर में सम्मिलित होने के लिए मैं आश्रम पहुँचा। उससे थोड़ी दूर प्रोम रोड पर शांति स्तूप के समीप विशाल, कृत्रिम सप्तपर्णी गुफा में विभिन्न देशों के 2500 विद्वान भिक्षु तिपिटक …
Read more »शिविर के पश्चात घर लौट कर दस दिनों के अनुभवों का पुनरवलोकन किया। दुनियादारी की अंतहीन भागदौड़ से दूर, प्राचीन ऋषि-मुनियों की पावन तपोभूमि सदृश धर्म के पवित्र वातावरण में निवास और नितांत संयमित, सात्विक और सादगी का जीवन ज…
Read more »स्वामी विवेकानंदजी सदैव मेरे श्रद्धाभाजन रहे हैं। युद्धोतर म्यंमा में रंगून की श्रीरामकृष्ण मिशन सोसायटी और श्रीरामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में अपनी सक्रिय सेवा देते हुए वहां के विद्वान और चरित्रवान, करुणहृदय और सेवाभावी…
Read more »चार्वाक नितांत इहलौकिक सुखवादी था। वह नहीं मानता था कि मरने के बाद पुनर्जन्म होता है, अत: इस जन्म के सत्कर्म के सत्फल और दुष्कर्म के दुष्फल भोगने के लिए न कोई स्वर्ग है न नरक । जीवन की पूर्ण अवधि जन्म से मृत्यु तक ही है। अ…
Read more »Your source for the lifestyle news. This demo is crafted specifically to exhibit the use of the theme as a lifestyle site. Visit our main page for more demos.